Deep Ocean Mission: भारत ने 4,500 मीटर गहरे पानी में की बड़ी खोज
हिंद महासागर में पहली बार हाईड्रोथर्मल वेंट की खोज, समुद्र विज्ञान में भारत की एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि
भारत को समुद्र के गहरे हिस्से में एक बड़ी सफलता मिली है। देश के महत्वाकांक्षी डीप ओशन मिशन के तहत, भारतीय शोधकर्ताओं ने हिंद महासागर की सतह के नीचे 4,500 मीटर गहरे पानी में एक हाईड्रोथर्मल वेंट (hydrothermal vent) की खोज की है। यह खोज भारतीय वैज्ञानिकों के लिए एक मील का पत्थर मानी जा रही है और भविष्य में समुद्र के गहरे हिस्से की और अधिक जांच की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हो सकती है।
हाईड्रोथर्मल वेंट एक तरह का गर्म पानी का झरना होता है जो समुद्र की सतह के नीचे स्थित होता है। यह वेंट उस समय बनते हैं जब पृथ्वी की भीतर से गर्म मेग्मा बाहर निकल कर क्रस्ट (माथरी परत) में नई परत बनाता है। जब समुद्र का पानी इस गर्म क्रस्ट में रिसता है, तो वह गर्म हो जाता है और फिर यह पानी समुद्र में वापस उफान मारता है। इसमें घुले हुए खनिज ठंडे पानी में जमकर नए संरचनाओं का निर्माण करते हैं।
इस महत्वपूर्ण खोज को नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलॉजी (NIOT) और नेशनल सेंटर फॉर पोलर एंड ओशन रिसर्च (NCPOR) के वैज्ञानिकों ने मिलकर अंजाम दिया है। इस खोज ने हिंद महासागर में हाईड्रोथर्मल वेंट की पहली बार पुष्टि की है, जो 1977 में Galapagos Rift में किए गए पहले शोध से लेकर अब तक का एक और महत्वपूर्ण पड़ाव है।
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डीप ओशन मिशन भारत का एक महत्वाकांक्षी प्रयास है जिसका लक्ष्य समुद्र में छिपे खनिज संसाधनों, समुद्र के अनोखे इकोसिस्टम और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का अध्ययन करना है। इस मिशन की लागत लगभग 4,000 करोड़ रुपये बताई गई है और इसे भारत की समुद्री तकनीकी शोध क्षमता को मजबूत करने में अहम कदम माना जा रहा है।
NCPOR के निदेशक Thamban Meloth ने इसे एक ऐतिहासिक सफलता बताया है, जो भारत के समुद्र विज्ञान में नई दिशा का संकेत देती है।